ग्रहों की अवस्था
जिस प्रकार इस जगत में मनुष्यों की बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भी बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं। ग्रहों की ये अवस्थाएं जातक के जन्मांग फलित ठीक उसी प्रकार प्रभावित करती हैं, जैसे मानव की अवस्थाएं उसके जीवन को। मनुष्य अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। ग्रह भी अपनी अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। अब यदि जन्मांग चक्र में शुभ ग्रह बलवान हुआ तो वह जातक अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा और यदि शुभ ग्रह अशक्त व निर्बल हुआ तो वह जातक शुभ फल प्रदान करने में असमर्थ रहेगा।

- यदि ग्रह विषम राशि में स्थित होता है तब यह-
- 0-6 अंश तक बाल अवस्था
- 6-12 अंश तक कुमार अवस्था
- 12-18 अंश तक युवा अवस्था
- 18-24 अंश तक वृद्ध अवस्था
- 24-30 अंश तक मृतावस्था का माना जाता है।
2. यदि ग्रह सम राशि में स्थित होता है तब यह-
- 0-6 अंश तक मृतावस्था |
- 6-12 अंश तक वृद्ध अवस्था |
- 12-18 अंश तक युवा अवस्था |
- 18-24 अंश तक कुमार अवस्था वृद्ध अवस्था |
- 24-30 अंश तक बाल अवस्था का माना जाता है।
विषम राशि : मेष , मिथुन , सिंह, तुला ,धनु , कुम्भ
सम राशि : वृषभ , कर्क , कन्या , वृश्चिक, मकर , मीन